रमज़ान के आखरी जुमा (अलविदा जुमा) की नमाज़ मुस्लिम समाज ने घर में की अदा।

 


रिपोर्ट नूरुल इस्लाम


फ़िरोज़ाबाद,


फिरोजाबाद में अलविदा जुमे की नमाज सभी मुस्लिम भाइयों ने घरों में ही अदा की मस्जिदों में बाहर से पूरी तरह बंद रहे अंदर सिर्फ 5 लोगों ने ही नमाज अदा की कोरोनावायरस बीमारी के खात्मे के लिए मांगी गई दुआएं।वैश्विक महामारी का रूप धारने वाली प्राकृतिक आपदा कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रकोप को देखते हुए रमज़ान के आखिरी जुमा (अलविदा जुमा) की नमाज़ सामूहिक रूप से मस्जिदों में अदा नही की गई, जिस प्रकार शासन और प्रशासन ने सामूहिक रूप से मस्जिदों में नमाज़ अदा न करने के लिए मस्जिदों के इमामों और मुस्लिम समाज से अपील की थी उसका पूर्ण रूप से असर देखने को मिला। मुस्लिम समुदाय में अलविदा जुमा को विशेष महत्व दिया जाता है लेकिन कोरेना जेसी महामारी के चलते इसदिन लोगो ने अपने अपने घरों पर ही नमाज़ अदा की।


मो अरशद खान रज़वी (अध्यक्ष आगरा मण्डल, सुन्नी उलमा कौंसिल, बरेली) ने बताया कि 
जिस तरह अलविदा जुमा की नमाज़ घरों में पड़ी है उसी तरह ईद की नमाज़ को भी घरों में पड़ें।सरकार के आज्ञानुसार समूह में ईद की नमाज पढ़ने से बचना ही हमारा मानव धर्म होना चाहिए। इस्लाम धर्म ने जहां जीवन के हर मोड़ और हर आपातकालीन स्थिति में हमें दिशा निर्देश दिया है वहीं ईद की नमाज सामूहिक तौर पर ना पढ़ पाने की स्थिति में हमें संकेत दिया है कि हम 2 रकात नमाज अपने अपने घरों में पढ़ें और एक दूसरे से गले मिलकर बधाई देने की बजाय "तकब्बलल्लाहु मिन्ना व मिनकुम" कहें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें घरों में रहें खुद सुरक्षित रहें दूसरों को सुरक्षित रखें।


मो अरशद खान रज़वी
फ़िरोज़ाबाद, उत्तरप्रदेश