वैष्णोदेवी मंदिर में की कई मां महागौरी की पूजा


 


फरीदाबाद,  (वेबवार्ता)वैष्णोदेवी मंदिर में नवरात्रों के आठवे दिन यानि कि अष्टमी पर महागौरी की पूजा अर्चना की गई। प्रातकालीन पूजा के बाद माता रानी को भोग लगाया गया। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने कहा कि इस बार मंदिर में कन्या पूजन नहीं किया जा सका। कोरोना के चलते इस ऐतिहासिक व पौरोणिक परंपरा के अनुसारकजंको को नहीं बिठाया जा सका। इसके लिए माता रानी से हाथ जोडक़र माफी मांगते हुए विनती की गई कि विश्व से इस महामारी का नाश करके लोगों को बचाओ। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने कहा कि महागौरी की पूजा अत्‍यंत कल्‍याणकारी और मंगलकारी हैमान्‍यता है कि सच्‍चे मन से अगर महागौरी को पूजा जाए तो सभी संचित पाप नष्‍ट हो जाते हैं और भक्‍त को अलौकिक शक्तियां प्राप्‍त होती हैंमहागौरी की पूजा के बाद कन्‍या पूजन का विधान है कन्‍या पूजन यानी कि घर में नौ कुंवारी कन्‍याओं को बुलाकर उनकी पूजा की जाती है इनकन्‍याओं की पूजा माता रानी के नौ स्‍वरूप मानकर की जाती है महागौरी को लेकर दो पौराणिक मान्‍यताएं प्रचलित हैं एक मान्‍यता के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी,जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार करते हैं और उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं ऐसा करने से देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया एक दूसरी कथा के मुताबिक एक सिंह काफी भूखा था वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी ऊमा तपस्या कर रही होती हैंदेवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गई मां ने उसे अपना वाहन बना लिया क्‍योंकि एक तरह से उसने भी तपस्या की थी महागौरी का स्‍वरूप धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है इनकी आयु आठ साल मानी गई हैहागौरी के सभी आभूषण और वस्‍त्र सफेद रंग के हैं इसलिए उन्‍हें श्‍वेताम्‍बरधरा भी कहा जाता है इनकी चार भुजाए हैं उनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है मां ने ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण किया हुआ है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है मां का वाहन वृषभ है इसीलिए उन्‍हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है मां सिंह की सवारी भी करती हैंमहागौरी का मनपसंद रंग और भोग महागौरी की पूजा करते वक्त गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है अष्टमी की पूजा और कन्या भोज करवाते इसी रंग को पहनें महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है इस दिन ब्राह्मण को भी नारियल दान में देने का विधान है मान्‍यता है कि मां को नारियल का भोग लगाने से नि:संतानों की मनोकामना पूरी होती है