रामायण और महाभारत से लॉकडाउन में मनोरंजन के साथ संस्कार की मिल रही है शिक्षा

 


गाजियाबाद,  (वेबवार्ता)। लॉकडाउन के दौरान धारावाहिक रामायण और महाभारत से धर्म, नीति और रिश्तों के संस्कार तो मिल ही रहे हैं, बच्चों की आम बोलचाल की भाषा भी बदलने लगी है। इन धारावाहिकों को देखकर बच्चें भी कलाकारों की देखा देखी मां को माताश्री, पिता को पिताश्री कहकर संबोधित करने लगे हैं। क्या आदेश है माताश्री, भोजन में आज क्या है माताश्री, जैसे वाक्य उनकी जुबान पर चढ़ चुके हैं। रात्रि विश्राम, शिक्षा ग्रहण, मित्र, स्वागत, सावधान, भ्राताश्री, आदरणी, प्रणाम आदि शब्दों का भी बच्चे खूब प्रयोग कर रहे हैं। रामायण और महाभारत सीरियल एक बार फिर शुरू होने से सबसे अधिक खुशी घर के बड़े बुजुर्गों को मिली है। सुबह, दोपहर और शाम को पूरा परिवार एक साथ इन धारावाहिकों को देख रहे हैं। धारावाहिक देखते समय बड़े बुजुर्ग कई बार भावुक भी हो जातेहैं। बच्चों के व्यवहार और बोलचाल पर रामायण और महाभारत का असर भी दिखने लगा है। इनमें बीच बीच में बोले जाने वाले श्लोक और गीतों को भी बच्चे दोहराते हैं। घर के बड़े बुजुर्गों को बच्चों का यह वार्तालाप देख खुशी मिलती है। बुजुर्गों का कहना  है कि देश में भाषा का अंग्रेजी करण इस कदर हुआ है कि बच्चें माता पिता को मॉम, डैड बोलते है। लॉकडाउन के दौरान रामायण और महाभारत धारावाहिकों का प्रसारण बेहतरीन पहल है। इससे बच्चों में प्रणाम करने, बड़ों के पैर छूने और अदब के साथ वार्तालाप करने के संस्कार आ रहे हैं।