रमज़ान का आख़िरी अर्शा बहुत ही रहमत वाला : नुरूल इस्लाम

फ़िरोज़ाबाद।
रमज़ान के आखिरी अशरा या आखिरी नो या दस दिनो को बहुत ज़्यादा फ़ज़ीहत है क्योंकि इस अशरे में लैलतुल कद्र (शब कदर) पड़ती है जिसमे शब कद्र की किसी एक रात में अल्लाह ने कुरान करीम को नाज़िल किया था इसी संदर्भ मैं अल्लाह ने कुरान की सूरत न 44 आयत न 3 में अल्लाह फरमाता है कि यक़ीनन हम ने इसे (कुरआन) ब बरकत रात (शबक़द्र) में उतारा है। इस रात की फ़ज़ीहत एक हज़ार महीनों की इबादत से भी अफ़ज़ल है। 


शबकद्र के संदर्भ मे हदीस हे कि रसूल अल्लाह (सल.) ने फ़रमाया, जो कोई शबक़द्र में ईमान के साथ और हुसूल सबाब की नीयत से इबादत में खड़ा हो उसके तमाम पिछले गुनाह बख़्श दिए जाएंगे और जिसने रमज़ान के रोज़े ईमान के साथ सबाब की नीयत से रखें उसके अगले तमाम गुनाह माफ़ कर दिए जाएंगे। सहीह बुखारी हदीस न. 1901
वहीं जामे तिर्मिजी की हदीस न. 683 में नकल करते हैं कि रसूल अल्लाह (सल.) ने फ़रमाया, जिसने ईमान के साथ ओर सबाब की नीयत से रमज़ान के रोज़े रखें और इसकी रातों में क़याम किया तो उस के साबिक गुनाह बख़्श दिए जाएंगे, और जिसने ईमान के साथ सबाब की नीयत से शबक़द्र में क़याम किया तो उस के भी साबिक़ गुनाह बख़्श दिए जाएंगे।


पैगम्बर अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल) इन रातों में कसरत के साथ अल्लाह की इबादत कुरान की तिलावत नामज़ को कसरत के साथ अदा किया करते थे। इन्हीं दस दिनों में एतिकाफ़ में आदमी मस्जिद में बैठा करते हैं इस बार लॉकडाउन होने के कारण ऐसा संभव नही हो सका। एतिकाफ में बैठने के बाद आदमी जहां मस्जिद में बैठता है वहाँ पर ही खाते पीते इबादत करते हैं किसी से भी बात करने की इज़ाजत नही होती है मोबाइल पर भी नही। उसको दुनियादारी के सभी कामों से दूर रहना पड़ता है कुरान की तिलावत करना , नफ्ली नमाज़ अदा करना, अपने रब का ज़िक्र व अज़कार करते रहना , तस्वीह पड़ना यह सब किया जाता है।
एतिकाफ़ इस प्रकर का कोरेनटाइन जैसा है यह शिक्षा इस्लाम से हमे हमारे नबी के ज़माने से दी गई है अल्लाह से दुआ करते है कि इस वबा की जल्द से जल्द दुनिया से खत्म कर दे। हम सभी को अल्लाह की हर बात पर अमल करना है तभी हमारा रब हमसे राज़ी होगा, सभी रोज़े रखना है तभी अल्लाह हमारे  गुनाह माफ करेगा और जन्नत के दरवाज़े अपने बन्दों के लिए खोल देगा। ग़रीबो की मदद करना भी एक इबाबद है इस समय मे ग़रीबो की अधिक से अधिक मदद करें जिससे कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए।
माइनारिटी ह्यूमन एजुकेशन वेलफेयर सोसायटी फ़िरोज़ाबाद