रिपोर्ट नूरुल इस्लाम।
'ईद-उल-फितर' या 'ईद' मुसलमानों के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार दुनिया भर के मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार है। यह त्यौहार भारत सहित पूरी दुनिया में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। ईद का त्यौहार रमजान के पवित्र महीने के बाद मनाया जाता है। इस बार ईद का त्योहार हार 25 मई को है लेकिन वैश्विक महामारी, प्राकृतिक आपदा कोरोना वायरस (कोविड -19) के प्रकोप के कारण मुस्लिम समाज ने यह संकल्प लिया है कि इस बार यह त्योहार बिना किसी खुशी के साथ और गरीबों की मदद कर मनाया जाएगा। और मुस्लिम समाज के धर्म गुरुओं और सामाजिक संस्थाओं ने भी लोगो से अपील की है कि इस बार लॉकडाउन होने के कारण उसका पूरा पालन करना है सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख़्याल रखना है और लोगो से अपील की है कि इस बार मुसलमानों के सबसे बड़े पर्व पर ईद की नमाज़ को घरों में ही अदा करना है।
मुसलमानों के लिए रमजान के दिनों का बहुत महत्त्व है। इस दौरान वे दिन भर पूर्ण उपवास रखते हैं। पानी पीना भी वर्जित होता है। शाम को नमाज़ अदा कर ही भोजन ग्रहण करते हैं। रमजान के महीने के अंतिम दिन जब आकाश में चाँद दिखाई देता है तो उसके दूसरे दिन ईद मनाई जाती है जो कि रोज़ेदार के लिए अल्लाह का एक तोहफा होता है। इस बार ईद 25 मई को मनाई जाना है क्योंकि 23 मई को चाँद नज़र न आने कारण 24 मई को महीने का अंतिम दिन 30 दिन पूरे हो जाने के कारण ईद को 25 मई को मनाया जाएगा।
ईद का त्यौहार मनाने की तैयारी पहले से ही आरम्भ कर दी जाती है। बच्चे, युवा, वृद्ध सभी उत्साहित दिखाई देते हैं। बाज़ारों में भीड़ बढ़ जाती है। अमीर-गरीब सभी नए वस्त्र, जूते-चप्पल, उपहार आदि खरीदने में व्यस्त हो जाते हैं। लेकिन इस बार कोरेना के कारण ऐसा नहीं है लोगो से अपील करी है कि इस बार ईद की खरीदारी से बचें और अपने आस पास देखें कोई गरीब भूखा हो उसकी मदद करें।
ईद के दिन सुबह से ही बच्चे, युवा, वृद्ध सभी विशेष प्रकार के वस्त्र पहनकर, सर पर टोपी लगाकर ईदगाह में जमा होने लगते हैं। वहाँ सभी पंक्तिबद्ध होकर विशेष नमाज़ अदा करते हैं। देश की सभी प्रमुख मस्जिदों में भी ऐसा ही दृश्य देखा जा सकता है। सभी आपसी भेद-भाव भूलकर गले मिलते हैं और एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं। लेकिन इस्लाम धर्म ने जहां जीवन के हर मोड़ और हर आपातकालीन स्थिति में हमें दिशा निर्देश दिया है वहीं ईद की नमाज सामूहिक तौर पर ना पढ़ पाने की स्थिति में हमें संकेत दिया है कि हम 2 रकात नमाज अपने अपने घरों में पढ़ें और एक दूसरे से गले मिलकर बधाई देने की बजाय "तकब्बलल्लाहु मिन्ना व मिनकुम" कहें। ईद की नमाज़ को अदा करने से पहले सदका ए फित्र को अदा करें जैसा कि हदीस के अल्फ़ाज़ है। हदीस :- इब्ने उमर (रज़ि.) से रिवायत है कि:-
नबी ए करीम (ﷺ) ने सदका_ए_फित्र ईद की नमाज़ के लिए जाने से पहले पहले निकालने का हुक्म दिया।
सहीह_बुखारी- 1509
ईद के दिन मुसलमानों के घर मीठी सेवईं बनती है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार के व्यंजन भी तैयार किये जाते हैं। लोग अपने सगे सम्बन्धियों के घर जाकर उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नज़र नही आने वाला है, लोगो से अपील है किसी गरीब को ईद के दिन भूखा न रहने दे जिसकी ज़िम्मेदारी आपकी है, किसी के घर ईद की मुबारकबाद देने नही जाना है, बिना किसी महत्वपूर्ण जरूरत के घर से नही निकलना है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है घरों में रहना है खुद को सुरक्षित रखना है दूसरों को सुरक्षित रखना है।
ईद आपसी मिलन और भाई-चारे का त्यौहार है। यह त्यौहार भारत की बहुआयामी संस्कृति का प्रतीक है। इस त्यौहार पर भारत के सभी समुदायों के लोग बहुत खुश होते हैं। ईद का त्यौहार सभी के लिए खुशियाँ लेकर आता है। यह त्यौहार दया, परोपकार, उदारता, भाई-चारा आदि मानवीय भावनाओं से युक्त होता है। सभी घर्म के लोगो से अपील है इस वैश्विक महामारी में एक दूसरे का साथ दें मानव धर्म को निभाएं।
नूरुल इस्लाम
माइनारिटी ह्यूमन एजुकेशन वेलफेयर सोसायटी, फ़िरोज़ाबाद।
मो 9045446681