नोएडा, । लॉकडाउन के चलते ईद का त्यौहार फीका पड़ गया है। लेकिन फिर भी हमें सोशल डिस्टेंसिंग समेत सभी नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि कोई भी वायरस की चपेट में न आए। यह कहना है आरिफ और राशिद का। उन्होंने कहा कि हालांकि इस बार ऐसा लग ही नहीं रहा कि ये रमजान का महीना है। इस महीने में मस्जिद और बाजारों में होनी वाली चहल-पहल पर कोरोना ने पानी फेर दिया है। लोग घर में रहकर हीनमाज अदा कर रहे हैं। ईद नजदीक आ रही है। जश्न को लेकर होने वाली तैयारियां भी नहीं हो पा रही हैं।
आरिफ ने कहा, इस वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि सोशल डिस्टेंस मेंटेन किया जाए। रमजान के महीने में ईदी व त्यौहारी देने के संकट को देखते हुए कुछ लोगों ने कहा कि वह ससुराल में रह रहीं अपने बहनों को इस बार अकाउंट पेय कर ईदी देंगे। वहीं कुछ ने बताया कि इस बार ईदी न देकर उससे जरूरतमंदों की मदद करेंगे। त्यौहारी और ईदी के लिए कपड़े, बर्तन, ड्राई फ्रूट्स आदी खरीदे जाते हैं, वह इस बार नहीं खरीदेंगे।
नहीं खरीदेंगे नए कपड़े
आरिफ अब्बासी ने बताया कि वैसे तो मार्केंट बंद हैं, कपड़े भी नहीं मिलेंगे। अगर मार्केट भी खुला तो लोग इस बार नए कपड़े नहीं खरीदेंगे। ज्यादातर लोग यह तय कर चुके हैं। वहीं जो लोग ईद पर टेलर से कपड़े सिलवाते थे, वे भी कपड़ा नहीं खरीद पाए हैं। इसलिए उन लोगों को भी पुराने कपड़े पहनने होंगे। पुराने कपड़े पहनकर ही ईद की नमाज अदा करेंगे। साथ ही बच्चों को भी पुराने कपड़े ही पहनने के लिए देंगे।
नहीं मिल रहा खाने का सामान
राशिद ने बताया कि रमजान के महीने में मिलने वाला खाने का सामान भी इस बार मार्केट में लॉकडाउन के चलते नहीं पहुंच सका है। फैनी, खजला, खजूर समेत विभिन्न आइटम्स के बिना ही इफ्तारी की जा रही है। ईद के मौके पर भी इन सामानों की कमी खलेगी। यह ऐसी पहली ईद होगी, जिसमें खाने की सामान की किल्लत रही है। अपने दोस्तों को इस बार ईद पर न बुलाने का अहसास उन्हें जिंदगी भर याद रहेगा।
लॉकडाउन में अपनी बहन के पास नहीं जा पाउंगा। इसलिए अकाउंट पेय कर ईदी दूंगा। नये कपड़े भी नहीं खरीदूंगा। कपड़ें में खर्च होने वाले पैसे से जरूरतमंदों की मदद करूंगा।
-इंतेजार अली
कोरोना को लेकर इस बार की कंडिशन खराब है। इसलिए किसी के भी घर नहीं जाऊंगा। बच्चों को कैश में ईदी दूंगा और बहनों को ईदी के पैसे अकाउंट में ट्रांसफर करूंगा।
- नोशाद अब्बासी
हर साल ईदी देते हैं। इस बार ईदी नहीं दूंगी। ईदी में खर्च होने वाले पैसे से गरीबों की मदद करुंगी, जिससे वे इस मुश्किल की घड़ी में अपना खर्च चला सके।
-रुबीना
लॉकडाउन के चलते इस बार ईदी देने का संकट बना है। बाजार में सामान नहीं मिलेगा। हम न तो नए कपड़े और गैजट्स खरीदेंगे। ईदी के पैसे से जरूरतमंदों की मदद करूंगी।
-गुलनाज हारुन