कोरोना वायरस के चलते परशुराम जयन्ती समारोह किया स्थगित--

  रिपोर्ट रोजुदीन।                                                                      इस बार भगवान परशुराम जयन्ती 26 अप्रैल 2020 दिन -रविवार को पड़ रही है। अ. भा. परशुराम सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि भगवान परशुराम जी का जन्म सतयुग में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (अक्षय तृतीया) में पनर्वसु नाम के नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में हुआ था। भगवान विष्णु के परशुराम जी के रूप में अक्षय तृतीया तिथि को जन्म लेने के कारण इस तिथि को परशुराम तिथि भी कहते हैं तथा भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में भी जाने जाते हैं। भगवान परशुराम जी सप्त चिरंजीवियों अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम में से एक हैं। अतः इस तिथि को चिरंजीवी तिथि भी कहते हैं। यह तिथि सर्वसिद्ध मुहुर्त के रूप में भी मानी जाती है। इसलिए इस दिन कोई भी पंचांग देखे बिना कोई भी शुभ एवं मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, गृहप्रवेश, भूमि- भवन, वाहन आदि का क्रय व्यापार का शुभारम्भ, अस्त्र-शस्त्र एवं वस्त्र आभूषण आदि का क्रय आदि कर सकते हैं। यह निश्चय ही फलदायक होगा। इस तिथि को पूजन-हवन करना चाहिये। ऐसा करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त्त हो जाता है और घर एवं व्यवसाय में धन-धनाड्य की वृद्वि होती है और परिवार में सुख- शान्ति व खुशहाली आती है। 
पं विनोद कुमार मिश्रा ने आगे बताया कि इस बार परशुराम जयन्ती 26 अप्रैल 2020 दिन रविवार को है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पूरे देश मे लॉक डाउन एवं धारा 144 लगी हुई है। देश में भगवान परशुराम जयंती पर सार्वजनिक रूप से होने वाले महायज्ञ, शोभायात्रा, महासम्मेलन आदि कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया है। इस बार परशुराम जयन्ती पर सभी धर्मप्रेमी अपने-अपने निवास स्थानों पर अपने परिवार के साथ छोटे यज्ञ करेंगे तथा  कम से कम 101 गायत्री मन्त्रो की आहुति देकर प्राणि मातृ के कल्याण की तथा परिवार में सुख-शांति की कामना करेंगे। शाम के समय सभी लोग अपने-अपने निवास स्थानों पर कम से कम 11 दीप प्रज्वलित करें। ऐसा करने से निश्चय ही प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति मिलेगी। राष्ट्रीय संगठन मंत्री पं प्रमोद कौशिक ने कहा कि घर में यज्ञ करते समय 4 से अधिक लोग एक साथ ना बैठे। वे चारों भी फासला बनाकर ही बैठे।