हर दिन बांट रहा है भोजन, फिर भी लोग भोजन और राशन के लिए भटक रहे हैं दर-दर

 


नोएडा,  (वेबवार्ता)। कोविड-19 की वैश्विक महामारी के कारण लॉकडाउन के कारण फंसे दैनिक श्रमिकों, ई-रिक्शा चालकों और दूसरे जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं जुटी हुईं है आंकड़े तो यही बताते हैं कि सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही हैं। लेकिन, बड़ा सवाल है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों  को फूड पैकेट और राशन उपलब्ध कराने के बावजूद लोग भोजन और राशन के लिए क्यों दर-दर भटक रहे हैं।


 


भोजन और राशन की तलाश में लॉकडाउन को तोड़कर सड़क पर घूम रहे जरूरतमंदों को तलाश कि कहीं कुछ मिल जाए, जिससे पेट की आग शांत हो सके। खाना कब बंटता है, ये पता नहीं चलता, कोई कहता कि सेक्टर-19में खाना मिलता है तो कोई और जगह बताता है। ऐसी ही कुछ स्थिति सेक्टर-16 की झुग्गी में रहने वाली शबाना की है। शबाना कहती है कि जब से लॉकडाउन हुआ है उसका पति उसे और तीन बच्चो को छोड़कर चला गया। वह कोठी में काम करती थी, जिससे उसका गुज़ारा चल रहा था। लेकिन लॉकडाउन के बाद सब कुछ बंद हो गया, जो पैसा बचाकर रखा वह भी खत्म हो गया और प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिल रही है।


 


गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के अफसरों को सख्त आदेश दिया है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे। उसे दो वक्त के भोजन की हर हाल में इंतजाम किए जाएं। इस आदेश पर अमल करते हुए गौतमबुद्ध नगर के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सरकारी संस्थाओं ने कम्यूनिटी किचन की शुरुआत की है। हर किचन के लिए एक अफसर की नियुक्ति की गई है। भोजन बनाने और उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई है। इसके अलावा हंगर सेंटर और रोटी बैंक भी बनाए गए हैं, जहां लोग स्वेच्छा से राशन दान में दे रहे हैं। वहां से वह जरूरतमंदों को दिए जा रहे हैं।


 


आंकड़े बताते हैं कि सरकारी एजेंसियों की ओर से प्रतिदिन 92 हजार 453लोगों को भोजन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सरकारी व्यवस्थाओं के अलावा मुख्य रूप से 21 समाजसेवी संस्थाएं भी निराश्रितों, वंचितों और जरूरतमंदों तक भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। ये सभी संस्थाएं भी प्रतिदिन लगभग 50 हजार जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचा रही हैं। कोरोना की आपदा में प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक जरूरतमंदों को फूड पैकेट और राशन पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। फिर भी हर गली-मोहल्ले, गांवों और कंस्ट्रक्शन साइट पर तमाम लोग खाना और राशन न मिलने की शिकायतें कर रहे हैं। ऐसी रिपोर्ट हर दिन आ रही हैं।