नई दिल्ली, (वेबवार्ता)। कोरोना वायरस से लड़ाई में डाॅक्टरों की मदद के उद्देश्य से राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में मिलग्रो के रोबोट लगाएं जाएंगे। कम्पनी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि दिल्ली एम्स में उसने अपने रोबोट को डॉक्टरों की मदद के लिए तैनात करने का एलान किया है। कंपनी का कहना है कि एक साझेदारी के तहत दिल्ली एम्स के कोविड-19 वार्ड में एडवांस एआई-पावर्ड रोबोट मिलग्रो आईमैप 9 और ह्यूमनॉइड ईएलएफ रोबोट को लगाया जाएगा।
भारत में निर्मित मिलग्रो आईमैप 9 फर्श को कीटाणुरहित करने वाला रोबोट है जो कि ऑटोमेटिक काम करता है। इसमें सोडियम हाइपोक्लोराइट का घोल इस्तेमाल होता है जिससे रोबोट फर्श की सतह को साफ करता है। यह रोबोट एलआईडीएआर द्वारा गाइडेड और एडवांस एसएलएएम टेक्नोलॉजी से लैस है जो रोबोट को कहीं टकराने और गिरने से रोकती है।इसके अलावा इन रोबोट में मिलग्रो की पेटेंटेड रियल टाइम टैरेन रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (आरटी2आरटी) है जो फ्लोर की मैपिंग सेकेंडों में करती है।
मिलग्रो ह्यूमनॉइड ईएलएफ डॉक्टरों को बिना व्यक्ति-से-व्यक्ति के संपर्क से संक्रामक कोविड-19 रोगियों की निगरानी और बातचीत में सक्षम बनाता है।आइसोलेशन वार्डों में रोगी इस रोबोट के माध्यम से समय-समय पर अपने रिश्तेदारों से बातचीत कर सकते हैं। इसमें हाई डेफिनेशन वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है। इसकी बैटरी को लेकर कंपनी ने आठ घंटे के बैकअप का दावा किया है। यह रोबोट 2.9 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। यह 92 सेंटीमीटर लंबा है और इसमें 60 से अधिक सेंसर्स, एक 3डी और एक एचडी कैमरा, और 10.1 इंच की डिस्प्ले है। इसमें आंखें भी लगी हैं।
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अस्पताल में मिलग्रो फ्लोर रोबोट आईमैप 9.0 और मिलग्रो ह्यूमनॉइड को आजमाया जाएगा।मिलग्रो के संस्थापक राजीव कारवाल ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के प्रयास में एम्स की मदद करने को लेकर मिलग्रो रोबोट्स बहुत खुश हैं। वास्तविक परिस्थितियों में मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर अधिक उत्पाद विकसित करने के लिए हम मिलकर काम करेंगे।